Havana Syndrome: A Mysterious Illness of Microwaves Haunting...
"Havana syndrome” that has targeted American diplomats and spies working Cuban embassy or...
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"मैं सही फैसले लेने में विश्वास नहीं करता, मैं फैसले लेता हूं और फिर उन्हें सही बनाता हूं"। यह शब्द जो आपने अभी पड़े हैं यह भारतीय उद्योगपति, परोपकारी, और टाटा संस के पूर्व अध्यक्ष श्री रतन नवल टाटा के हैं।
Tata Sons के चेयरमैन एमेरिटस रतन टाटा आज (28 दिसंबर, 2020) को 83 वर्ष के हो गए। रतन टाटा देश के सबसे सफल व्यवसायियों में से एक हैं। एक बात जो रतन टाटा को अन्य उद्योगपतियों से अलग करती है, वह है उनके विचार। वह व्यापार करते समय दया और सहानुभूति को सर्वोच्च प्राथमिकता देते है।
आज हम बात करने वाले श्री रतन नवल टाटा के जीवन पर जिन्होनें अपने महान विचारों से अपने जीवन में सफलता प्राप्त की।
रतन टाटा का जन्म 1937 को सूरत, गुजरात में हुआ था। उनके पिता का नाम नवल टाटा और मां का नाम सौनी टाटा था। श्री रतन नवल टाटा ने 25 साल की उम्र में 1962 में टाटा समूह के साथ अपने करियर की शुरुआत की। बाद में वे अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए हार्वर्ड बिजनेस स्कूल चले गए। वह कॉर्नेल यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ आर्किटेक्चर के पूर्व छात्र भी हैं।
रतन टाटा 1991 में जेआरडी टाटा के बाद टाटा समूह के पांचवें अध्यक्ष बने। साथी ही उन्होनें "साल्ट-टू-सॉफ्टवेयर" के अध्यक्ष के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान टाटा समूह के व्यवसाय को एक नई ऊंचाई पर ले जाने के लिए पहल की।
यहां से रतन टाटा ने अपने करियर की शुरूआत की। इसके बाद उन्होनें "टेलीसर्विसेज" की शुरुआत की और भारत की पहली स्वदेशी विकसित कार "इंडिका कार" भी डिजाइन और लॉन्च की। टाटा समूह ने "वीएसएनएल" का अधिग्रहण भी किया, जो उस समय भारत का शीर्ष अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार सेवा प्रदाता था।
टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) को रतन टाटा कार्यकाल के दौरान 2004 में सार्वजनिक किया गया था। 2008 में उनकी कपंनी ने दुनिया की सबसे सस्ती कार "नैनो" को भी डिजाइन और लॉन्च किया। उनके नेतृत्व में, टाटा समूह को वैश्विक मंच पर पहचान मिली जब उन्होनें "एंग्लो-डच स्टीलमेकर कोरस", ब्रिटिश लक्जरी ब्रांड "जगुआर और लैंड रोवर" और ब्रिटिश चाय कंपनी "टेटली" का अधिग्रहण किया।
रतन टाटा एक सफल निवेशक के रूप में भी जाने जाते हैं। उन्होंने शुरुआती स्तर पर कई स्टार्टअप्स में पैसा लगाया है जो अब यूनिकॉर्न बन गए हैं। रतन टाटा द्वारा कैब एग्रीगेटर "ओला" में निवेश किए जाने के बाद एक समाचार रिपोर्ट के अनुसार नवंबर 2015 में इसके शेयर की कीमतें 15,87,392 रुपये से बढ़कर 29,44,805 रुपये हो गईं।
ओला के अलावा, उन्होंने पेटीएम, कार देखो, क्योरफिट, स्नैपडील जैसे सफल स्टार्टअप में भी निवेश किया है। रतन टाटा की व्यापार नीति है कि पहले सबसे छोटे व्यापार में निवेश करो फिर उसे ब्रांड बनाने की कोशिश करो। उनकी इसी नीति की वजह से आज रतन जी सैकड़ों कंपनी के मालिक हैं।
एक परोपकारी व्यापारी
रतन टाटा को सिर्फ उनके व्यापार करने के तरीकों और पैसों के लिए ही नहीं जाना जाता बल्कि देश के लिए उनके योगदान के लिए भी जाना जाता है।
रनत टाटा के नेतृत्व में, टाटा ट्रस्ट ने कई जगहों पर बाल कुपोषण की समस्या का सामना किया, प्रधान खाद्य पदार्थों को मज़बूत किया, मातृ स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित किया, और उनके कार्यक्रमों में एक दिन में 60,000 गरीब लोगों को भोजन उपलब्ध कराने के साथ गरीबी को कम करने का लक्ष्य रखा है।
उनके इस अच्छे कार्य के लिए पूर्व भारतीय राष्ट्रपति के आर नारायणन ने देश की निस्वार्थ सेवा के लिए रतन टाटा को पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया है।
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